Friday 24 February 2017

दिल टूटने से बचा ना सके दर्द शायरी

जिसने हमें चाहा उसे अपना ना सके,
जिनसे दिल लगाया उन्हें पा ना सके।
किसी और का दिल तोड़ने का जुर्म कर बैठे,
पर कमबख्त अपना दिल टूटने से बचा ना सके।

उनकी बाहों के बिना हमें मरना भी गवारा ना था,
उम्र भर उनकी चाहत को दिल में सजाये रखा था।
मौत भी आयी तो हमारी दास्ताँ सुन कर लौट गयी,
पर कमबख्त उन्हें हमारी मोहब्बत रास ना आयी।

बहुत समझाया खुद को उन्हें हमारी जरुरत नहीं,
दिमाग तो समझ गया पर हमारी बात दिल के समझ ना आयी।
समझता भी कैसे वो तो टूट कर बिखर गया था,
संभालता भी कैसे हर टुकड़ा खो गया था।

जिसने हमें चाहा उसे अपना ना सके,
जिसे दिल लगाया उन्हें पा ना सके।
किसी और का दिल तोड़ने का जुर्म कर बैठे,
पर कमबख्त अपना दिल टूटने से बचा ना सके।


No comments:

Post a Comment